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सुस्‍वागतम

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

चूरू के महेश

एक संक्षिप्त परिचय 
 राजस्थान के थळी अंचल के चूरू में पं. गुलाबचन्द शर्मा के घर ७ सितम्बर १९४८ को जन्मे डॉ. महेश चन्द्र भार्मा बालपन से प्रतिभा के धनी थे। मौलिक शिक्षा के हिमायती रहे महेश का जीवन संघर्ष्‍ामय रहा। जिस तरह विकट परिस्थितियों का सामना करते हुए उनके पिता ने अपने परिवार को प्रगति की राह की ओर अग्रसित किया उसी तरह महेश ने विपरीत परिस्थियों के बावजूद  निरंतर आगे बढते रहे । राष्‍Vªh ‍स्वयं सेवक संघ में काम किया और देश सेवा की राह की ओर मुड़ गए। उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को चंद शब्दों में नहीं समेटा जा सकता फिर भी उनका एक संक्षिप्त परिचय देने का प्रयास कर रहा हूं। 
शिक्षा   
प्रारंभिक शिक्षा, बागला स्कूल चूरू में उच्च माध्यमिक और लोहिया महाविद्यालय में स्नातकीय शिक्षा प्राप्त करने के बाद राजस्थान विश्‍वद्यालय के विद्यार्थी रहे महेश आज भी अपने आप को केवल विद्यार्थी ही मानते है। शोधार्थी, लेखक, पत्रकार और कवि डॉ. महेश चन्द्र शर्मा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन एकात्म मानववाद के विभिन्न पहलुओं पर निरंतर काम कर रहे है। राजस्थान विश्‍व विद्यालय से हिन्दी सहित्य में स्नातक की उपाधि, राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि के बाद राजस्थान विश्‍वविद्यालय में ही उन्होंने अध्यापन का कार्य किया। एक वर्ष की अवधि में ही नौकरी छोड़कर महेश आरएसएस के माध्यम से देश सेवा में जुट गए। १९७४ में संघ के प्रचारक का दायित्व ग्रहण किया। आपातकाल के दौरान मीसा के तहत उन्हें जयपुर जेल में बंद कर दिया गया। १९७७ में जेल से मुक्त होने के बाद महेश ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिष‍द में वभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। १९८३ में फिर विद्यार्थी बने शर्मा ने अकादमि‍क अनुसंधान कार्य शुरू कर दिया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का राजनीतिक जीवन वृत- उनके कर्तृत्व और विचार विष‍य पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनका शो‍ध प्रबंध दीनदयाल उपाध्याय: कर्तृत्व एवं विचार शीर्ष‍क से प्रकाशित हुआ। भू-सांस्कृतिक राष्‍वाद, अखण्ड भारत, विभाजन अस्वीकार, दीनदयाल उपाध्याय का अर्थिक चिंतन सहित उनकी पुस्तकों ने पाठकों को झंकाझोर दिया। विभिन्न समाचार पत्रों में विश्‍ववार्ता, अपना देश नियमित स्तम्भ लिखे जिससे प्रतियोगी विद्यार्थियों को खूब संबल मिला।
मंथन का संपादन
देश की प्रतिष्ठित अकादमिक पत्र मंथन के संपादक महेश वसुधा स्तम्भ के माध्यम से अखण्ड भारत स्मारिका का भी हर वर्ष नियमित संपादन कर रहे हैं। साहित्य की निरंतर सेवा के परिणाम स्वरूप शर्मा को उत्तर प्रदेश साहित्य संस्थान की ओर से सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। भारत सरकार के प्रकाशन विभाग ने उनकी लिखित पण्डित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी प्रकाशित की है। अनेक देशों में भ्रमण कर चुके महेश दीनदयाल शोध संस्थान से सक्रिय रूप से जुड़े हैं। शर्मा संप्रति वह एकात्म मानव दर्श‍न अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्‍ठान के संस्थापक अध्यक्ष है। भारतीय अर्थव्यवस्था के भारतीयकरण के लिए सतत् प्रयत्नशील शर्मा स्वदेशी जागरण मंच की संचालन समिति के सदस्य है। 
राजनीति की ओर रखा कदम 
पंडित दीनदयाल शोध संस्थान के रचनात्मक, सृजनात्मक, सामाजिक एवं शैक्षणिक कार्यों में संलग्न रहे शर्मा राजनीति के छात्र अवश्‍य रहे लेकिन राजनीति की ओर उनका कदम १९९६ में जब पड़ा तब वे राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुने गए। १९९६ से २००२ तक राज्यसभा सदस्य का दायित्व निभाने वाले शर्मा शोध कार्यों में जुटे रहे तथा देशभर में चलने वाली विचार श्रृंखलाओं में प्रतिनिधित्व करते समाज को एक दिशा देने का प्रयास किया। सिद्धांत की राजनीति और पारदर्शी कार्य शैली के कारण उन्हें अच्छे राजनीतिज्ञ की पहचान प्राप्त हुई। प्रतिस्पर्द्धात्मक राजनीति और गुटबाजी की राजनीति से दूर रहकर केवल संगठन के संविधान और देश के लिए काम करने के लक्ष्य तय कर शर्मा समाज और राजनीति के बीच समन्वय स्थापित करने के प्रयास में निस्वार्थ भाव से जुटे हुए हैं। 
राजस्थान भाजपा के बने प्रदेश अध्यक्ष 
राजस्थान भाजपा संगठन की राजनीति में संघ की आज्ञा से प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व संभालने वाले शर्मा ने करीब दो वर्ष तक सत्ता और संगठन के बीच तालमेल बैठाने का काम किया। वे सफल भी रहे लेकिन राजनीति में संगठन व सत्ता के बीच समन्वय की कड़ी बनाना भी कभी-कभी दुखदाई हो जाता है। ऐसा ही हुआ कि उन्हें अकारण संगठन ने अध्यक्ष पद छोड़ने का आदेश दिया और एक सच्चे कार्यकर्ता की तरह आदेश माना जो वर्तमान में शायद ही कोई ऐसा उद्हारण मिलता है। फिर भी बिना लाग लपेट के राजनीति में आज भी सक्रिय है लेकिन गुटबाजी से आज भी दूर है। महेश राजनीति को सुधारने का प्रयास भी कर रहे हैं। कवि मन, स्वच्छ छवि, सहज, सरल व्यक्तित्व के धनी महेश शर्मा वास्तव में थळी अंचल के ही नहीं देश के गौरव है। 
 
नरेन्‍द्र शर्मा
पत्रकार, चूरू
      

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