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सुस्‍वागतम

शनिवार, 28 अप्रैल 2012

अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने

अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने ---
दो पक्ष - कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष !
तीन ऋण - देव ऋण, पित्र ऋण एवं ऋषि त्रण !
चार युग - सतयुग , त्रेता युग , द्वापरयुग एवं कलयुग !
चार धाम - द्वारिका , बद्रीनाथ, जगन्नाथ पूरी एवं रामेश्वरम धाम !
चारपीठ - शारदा पीठ ( द्वारिका ), ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम), गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) एवं श्रन्गेरिपीठ !
चर वेद- ऋग्वेद , अथर्वेद, यजुर्वेद एवं सामवेद !
चार आश्रम - ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , बानप्रस्थ एवं संन्यास !
चार अंतःकरण - मन , बुद्धि , चित्त , एवं अहंकार !
पञ्च गव्य - गाय का घी , दूध , दही , गोमूत्र एवं गोबर , !
पञ्च देव - गणेश , विष्णु , शिव , देवी और सूर्य !
पंच तत्त्व - प्रथ्वी , जल , अग्नि , वायु एवंआकाश !
छह दर्शन - वैशेषिक , न्याय , सांख्य, योग , पूर्व मिसांसा एवं दक्षिण मिसांसा !
सप्त ऋषि - विश्वामित्र , जमदाग्नि , भरद्वाज , गौतम , अत्री , वशिष्ठ और कश्यप !
सप्त पूरी - अयोध्या पूरी , मथुरा पूरी , माया पूरी ( हरिद्वार ) , कशी , कांची ( शिन कांची - विष्णु कांची ) , अवंतिका और द्वारिका पूरी !
आठ योग - यम , नियम, आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान एवं समाधी !
आठ लक्ष्मी - आग्घ , विद्या , सौभाग्य , अमृत, काम , सत्य , भोग , एवं योग लक्ष्मी !
नव दुर्गा - शैल पुत्री , ब्रह्मचारिणी , चंद्रघंटा , कुष्मांडा , स्कंदमाता , कात्यायिनी , कालरात्रि , महागौरी एवं सिद्धिदात्री !
दस दिशाएं - पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण, इशान , नेत्रत्य , वायव्य आग्नेय ,आकाश एवं पाताल !
मुख्या ग्यारह अवतार - मत्स्य , कच्छप , बराह , नरसिंह , बामन , परशुराम , श्री राम , कृष्ण , बलराम , बुद्ध , एवं कल्कि !
बारह मास - चेत्र , वैशाख , ज्येष्ठ ,अषाड़ , श्रावन , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक , मार्गशीर्ष . पौष , माघ , फागुन !
बारह राशी - मेष , ब्रषभ , मिथुन , कर्क , सिंह, तुला , ब्रश्चिक , धनु , मकर , कुम्भ , एवं कन्या !
बारह ज्योतिर्लिंग - सोमनाथ , मल्लिकर्जुना , महाकाल , ओमकालेश्वर , बैजनाथ , रामेश्वरम , विश्वनाथ , त्रियम्वाकेश्वर , केदारनाथ , घुष्नेश्वर , भीमाशंकर एवं नागेश्वर !
पंद्रह तिथियाँ - प्रतिपदा , द्वतीय , तृतीय , चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी , नवमी , दशमी , एकादशी , द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा , अमावश्या !
स्म्रतियां - मनु , विष्णु, अत्री , हारीत , याज्ञवल्क्य , उशना , अंगीरा , यम , आपस्तम्ब , सर्वत , कात्यायन , ब्रहस्पति , पराशर , व्यास , शांख्य , लिखित , दक्ष , शातातप , वशिष्ठ !

मोबाइल

घनश्याम नाथ कच्छावा की नव कृति जीवन रा चितराम की एक बानगी मोबाइल
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जीवण
जियां-
मोबाइल रो सैट
अर
सिम इणरी आतमा
सांसां स्यूं रिचार्ज
हुवे आ काया
मोबाइल सैट-सी
बणी
इण मिनखाजूण स्यूं
मिनखपणे री रिंगटोन
गायब हुयगी
अबै
जीवण रो मोबाइल
खाली सांसां रो
खोळीयों हुय'र
बिना चेतना रै पाण
वायबरेशन रै माथै इज
पड़यो हैं |

रविवार, 8 अप्रैल 2012

राजस्थानी भाषा को मिले मान्यता
यह कैसी विडम्बना है की हमारी अपनी मायड. भाषा को हमारी ही सरकार मान्यता नहीं दे रही हैं | पता नहीं सरकार या हमारी सबसे बड़ी पंचायत में प्रतिनिधित्व कर रहे नेताओं के सामने ऐसी क्या समस्या है की वे राजस्थानी भाषा की मान्यता के मसले पर मुखरित नहीं हो रहे हैं | साधुवाद के पात्र हैं हमारे बीकानेर के सांसद श्री अर्जुन राम जी मेघवाल जिन्होंने राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के लिए संसद में राजस्थान की आवाज बुलंद की | राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलनी चाहिए केवल यही नही बल्कि राजस्थानी भाषा को मान्यता देनी होगी | अब यदि सरकार ने इस और ध्यान नहीं दिया तो उसे राजस्थान की जनता के कोप का सामना करना पड़ेगा |
narendra sharma 

आइना है फेसबुक

आइना है फेसबुक
फेसबुक बनाने वाले वाले व्यक्तित्व ने दुनियां को वह आइना दिखाया है| जिसमें देखने वाला व्यक्ति न केवल अपने मित्रों का चेहरा देख रहा है बल्कि वह उसके कृतित्व को पढ़ रहा है |
फेसबुक के माध्यम से हमे संवाद बनाये रखने का जो माध्यम मिला है तो क्यों न हम संवाद के जरिये एक सेतु का निर्माण करें जिससे आने वाला कल प्रेरणा ले |
हम दुनिया में आए और हमे परमात्मा ने जो कुछ भी दिया है उस प्रसाद को न केवल स्वयं ग्रहण करें बल्कि अपने मित्रों को भी दे|
फेसबुक संवाद का वह सशक्त माध्यम जिससे हम अपनों के बीच बढती दूरियों को कम कर सकते हैं | फेसबुक के माध्यम से आपसी भाईचारे, महापुरुषों के संदेश दें |
बुराईयों को जडमूल से समाप्त करने का प्रयास और अच्छाइयों के साथ विकास की पहल करें| निज पर शासन फिर अनुशासन पर अम्ल करते हम भारत की आन बान शान में चार चाँद लगायें|
यह वर्तमान की आवश्यकता है |

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

आज है पूर्णिमा --- हनुमान जयंती
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हनुमान जयंती की शुभकामना
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जय हनुमान ज्ञान गुण सागर , जय कपीस तिहु लोक उजागर
रामदूत अतुलित बल धामा , अंजनिपुत्र पवनसुत नामा
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