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सुस्‍वागतम

रविवार, 8 अप्रैल 2012

आइना है फेसबुक

आइना है फेसबुक
फेसबुक बनाने वाले वाले व्यक्तित्व ने दुनियां को वह आइना दिखाया है| जिसमें देखने वाला व्यक्ति न केवल अपने मित्रों का चेहरा देख रहा है बल्कि वह उसके कृतित्व को पढ़ रहा है |
फेसबुक के माध्यम से हमे संवाद बनाये रखने का जो माध्यम मिला है तो क्यों न हम संवाद के जरिये एक सेतु का निर्माण करें जिससे आने वाला कल प्रेरणा ले |
हम दुनिया में आए और हमे परमात्मा ने जो कुछ भी दिया है उस प्रसाद को न केवल स्वयं ग्रहण करें बल्कि अपने मित्रों को भी दे|
फेसबुक संवाद का वह सशक्त माध्यम जिससे हम अपनों के बीच बढती दूरियों को कम कर सकते हैं | फेसबुक के माध्यम से आपसी भाईचारे, महापुरुषों के संदेश दें |
बुराईयों को जडमूल से समाप्त करने का प्रयास और अच्छाइयों के साथ विकास की पहल करें| निज पर शासन फिर अनुशासन पर अम्ल करते हम भारत की आन बान शान में चार चाँद लगायें|
यह वर्तमान की आवश्यकता है |

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