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सुस्‍वागतम

शनिवार, 28 अप्रैल 2012

मोबाइल

घनश्याम नाथ कच्छावा की नव कृति जीवन रा चितराम की एक बानगी मोबाइल
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जीवण
जियां-
मोबाइल रो सैट
अर
सिम इणरी आतमा
सांसां स्यूं रिचार्ज
हुवे आ काया
मोबाइल सैट-सी
बणी
इण मिनखाजूण स्यूं
मिनखपणे री रिंगटोन
गायब हुयगी
अबै
जीवण रो मोबाइल
खाली सांसां रो
खोळीयों हुय'र
बिना चेतना रै पाण
वायबरेशन रै माथै इज
पड़यो हैं |

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