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सुस्‍वागतम

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

चार दिन की चांदनी

खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश देश हित में नहीं फिर भी केंद्र सरकार विदेशी निवेश को अपने लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया हें जो ठीक नहीं हें , ग्रामस्वराज का सपना लिए अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत करने के वास्ते संघर्ष कर   भारत को भारतीय शासकों ने क्या दिया इस पर चिन्तन करना चाहिए , कितना अच्छा होता प्रधान मंत्री जी ग्रामीण अंचल में अपना बाजार विकसित करने पर संसद में प्रस्ताव लाते, कितना आश्चर्य हें की दुनिया की अर्थव्यवस्था भारत पर टिकी हें , फिर भी भारत की सरकार  विदेशी निवेश सशक्त का  पक्षधर बना हुई  हें , सरकार  को चाहियें की वे विदेशी नहीं स्वदेशी निवेश की बात करें, विदेशी निवेश चार दिन की चांदनी फेर अँधेरी रात के समान हें , इसे सरकार को समझना चाहिए , देश की प्रतिष्ठा से कीमती अपनी प्रतिष्ठा नहीं हें , देश हें तो हम हें वरना कुछ भी नहीं ,
एन शर्मा 

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